Saturday, 23 June 2012


कानपुर, 21 जून 2012: भाजपा के महापौर प्रत्याशी पूर्व सांसद जगतवीर सिंह द्रोण के जन संपर्क ने शहर में जोर पकड़ा हुआ है. लेकिन द्रोण अपनी जनता से सिर्फ घर-घर जाकर ही नहीं मिल रहे, द्रोण लोगों से उनके कम्प्यूटर्स पर भी मिल रहें हैं. सोशल नेटवर्किंग के ज़माने में द्रोण फेसबुक एवं ब्लोग्स द्वारा भी जनता से जुड़े हुए हैं. उनके फेसबुक पेज पर काफी लोग द्रोण के चुनाव और चुनाव से सम्बंधित गतिविधियों की खबर रख रहें हैं. उनके पेज पर द्रोण के रोज़ हो रहे जन संपर्क की जानकारी उपलब्ध है और साथ ही तस्वीरें भी. जैसे ही द्रोण के चुनाव में कोई नयी बात होती है, उनका पेज भी अपडेट कर दिया जाता है. मतलब, इन्टरनेट पर द्रोण के पल पल की खबर उनको follow करने वाले लोगों तक पहुंचाई जा रही है. यह युवा वोटरों को भी ध्यान में रख कर किया गया है. आज कल अधिकतर सभी युवा दिन में कुछ समय इन्टरनेट पर अवश्य बिताते हैं और द्रोण अपनी सभी वोटरों तक पहुंचना चाहते हैं.

उनके पेज को लायक करने वाले यशोदा नगर के प्रबल श्रीवास्तव का कहना है, "इस पेज से हमें हमारे महापौर प्रत्याशी के हर कदम की खबर मिलती है और क्यूंकि उनकी हर खबर हम तक हर समय इन्टरनेट के माध्यम से पहुँचती रहती है, हम उनसे कनेक्टेड महसूस करते हैं."

उनके पेज को लायक करने वाले एक और व्यक्ति का मानना है, "मेरे लिए सबसे ख़ास इस पेज की फोटो हैं. जब आप किसी की फोटो देखते हैं तो आपको उनके बारे में बहुत कुछ समझ में आता है. द्रोण की जगह-जगह की जन संपर्क की फोटो उनके पेज पर हैं. जब वो लोगों से मिल रहें हैं तो हम देख पा रहें हैं की जनता की क्या प्रतिक्रिया है."

Thursday, 7 June 2012

मैं गरीब का बेटा हूँ.




कुछ मेरी कलम से एक भारतीय गरीब बच्चे की कहानी!! हाँ मैं गरीब का बेटा हूँ!! जिंदगी का हर एक सितम मैं सहता हूँ मजबूरियों में भी मैं रहता हूँ क्योंकि मैं गरीब का बेटा हूँ !!!! ठंडी में ठिठुर लेता हूँ,!! बरसात में भीग लेता हूँ, गर्मीं जब पांव जलती है....तो तब पत्थरों पर सो लेता हूँ मैं, क्योंकि मैं गरीब का बेटा हूँ !!!! के कमीज़,एक पतलून !! रोज़ बिना साबुन में धोता हूँ मैं, बाहरी दुकानों की रौनक देख, अक्सर खुश हो लेता हूँ मैं, क्योंकि गरीब का बेटा हूँ मैं !!!! ग़म भी बहुत है दर्द भी है !! दिल में सब दबा लेता हूँ, कभी अकेले कभी सबके सामने, आँखों से आंसू पोछ लेता हूँ मैं क्योंकि मैं गरीब का बेटा हूँ मैं गरीब का बेटा हूँ........... !!!
सोनिया गाँधी भारत के मुस्लिम इलाके मे मुस्लिम पुलिस की तैनाती का आदेश देने के पहले कम से कम ये तो सोचा होता कि सीरिया, लेबनान, अफ़गानिस्तान, इराक, यमन, आदि देशो मे राष्ट्रपति, सेना, पुलिस, प्रधानमंत्री, मंत्री से लेकर संतरी आदि सभी मुस्लिम ही थे .. 

फिर भी हर रोज हजारों मुस्लिम इन देशो मे मारे जा रहे है |

सोनिया जी .. हम सबको मालूम है कि आपके पूर्वज गयासुद्दीन गाजी का कर्ज आपको उतरना है . और गयासुद्दीन गाजी का कर्ज उसके परपोते जवाहर लाल नेहरु ने पहले ही इस देश के तीन टुकड़े करके उन्हें इस्लामिक देश बनाकर अदा कर चुके है |

मेहरबानी करके आप और इस देश को धर्म के आधार पर मत बाटिये |

आखिर क्यूँ?

दुःख होता है जब भारत में औरंगजेब रोड देखता हूँ, दुःख होता है जब मुगलों के धर्म निरपेक्षता के किस्से सुनता हूँ, दुःख होता है जब इतिहासकार यह बताने से कतरा जाते हैं की मुल्लो ने कैसे अधार्मिक और अनैतिक इंसानियत को देहला देने वाले काण्ड करे! हास्यप्रद लगता है जब जब हमारे इतिहासकार मुगलों की प्रशंसा के पुल बांध देते हैं इस हद्द तक की वह झूठ बोलने लगते हैं! अकबर ने एक हिन्दू लड़की से शादी की सिर्फ इसलिए उसें धर्म निरपेक्ष दिखाया जाता है परन्तु कोई यह नहीं बताता की चित्तोड़ पर विजय प्राप्त करने के बाद अकबर ने एक बड़ा नरसंहार करवाया था जिसमे ३०,००० हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया था! यह कोई इतिहासकार क्यों नहीं बताता? क्यों नहीं बताया जाता कि मुल्ले अधिकतर युद्ध धोखाधड़ी करके ही जीते थे!
उसको छोडिये यह तक नहीं बताया जाता कि जब भारत पर ७३४ इसवी में मुल्लो ने आक्रमण हुआ था तब राजस्थान में एक ऐसा योद्धा पैदा हुआ था जिसने मुल्लो को मार मार के वापस उनके देश तक खदेड़ा था! उसने अरबी, तुर्क और फारसी मुल्लो के दिल में इतनी दहशत भर दी थी कि मुल्लो ने अगले ४०० साल तक हिंदुस्तान कि ओर आँख उठा के नहीं देखा! यह योद्धा थे मेवाड़ वंश के संथापक 'बाप्पा रावल' कालभोज के राजकुमार ! शिव के एकलिंग रूप के भक्त और चित्तोड़ के किले के निर्माता! उनके पिता महेंद्र रावल द्वितीय की आक्रमणकारियों के हत्या की थी और उनकी माता जी अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए सटी हो गयी थी! बाप्पा रावल का पालन पोषण उनके कुलपुरोहित ने बड़े प्यार से किया और एकलिंग जी की भक्ति के साथ साथ समस्त युद्ध लालाओ में निपुण बनाया! बाप्पा रावल ने अपना खोया हुआ राज्य मात्र २१ साल की उम्र में वापस ले लिए था..और एक कुशल शासक के रूप में अपने को स्थापित किया! बाद में जब अरब, तुर्कों और फारसियो ने आक्रमण किया तो बाप्पा रावल ने न केवल उन्हें युद्ध में हराया बल्कि अरबो को वापस उनके देश तक खदेड़ा! ऐसा था बप्पा रावल का खौफ की मुल्लो ने अगले ४००० साल भारत की ओर आँख उठा कर देखने तक की हिम्मत नहीं की! परन्तु हमारे इतिहास कार मौन हैं! आखिर क्यूँ?
उसको छोडिये यह तक नहीं बताया जाता कि जब भारत पर ७३४ इसवी में मुल्लो ने आक्रमण हुआ था तब राजस्थान में एक ऐसा योद्धा पैदा हुआ था जिसने मुल्लो को मार मार के वापस उनके देश तक खदेड़ा था! उसने अरबी, तुर्क और फारसी मुल्लो के दिल में इतनी दहशत भर दी थी कि मुल्लो ने अगले ४०० साल तक हिंदुस्तान कि ओर आँख उठा के नहीं देखा! यह योद्धा थे मेवाड़ वंश के संथापक 'बाप्पा रावल' कालभोज के राजकुमार ! शिव के एकलिंग रूप के भक्त और चित्तोड़ के किले के निर्माता! उनके पिता महेंद्र रावल द्वितीय की आक्रमणकारियों के हत्या की थी और उनकी माता जी अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए सटी हो गयी थी! बाप्पा रावल का पालन पोषण उनके कुलपुरोहित ने बड़े प्यार से किया और एकलिंग जी की भक्ति के साथ साथ समस्त युद्ध लालाओ में निपुण बनाया! बाप्पा रावल ने अपना खोया हुआ राज्य मात्र २१ साल की उम्र में वापस ले लिए था..और एक कुशल शासक के रूप में अपने को स्थापित किया! बाद में जब अरब, तुर्कों और फारसियो ने आक्रमण किया तो बाप्पा रावल ने न केवल उन्हें युद्ध में हराया बल्कि अरबो को वापस उनके देश तक खदेड़ा! ऐसा था बप्पा रावल का खौफ की मुल्लो ने अगले ४००० साल भारत की ओर आँख उठा कर देखने तक की हिम्मत नहीं की! परन्तु हमारे इतिहास कार मौन हैं! आखिर क्यूँ?