Wednesday, 31 October 2012
Monday, 8 October 2012
महंगाई मात़ा
मैं महंगाई माता का मारा हुआ हूँ
मैं नजरों से उनकी उतारा हुआ हूँ ।
मैं था राज्यकर्मी ,कुकर्मी नहीं था,
वो समझे हैं अब मैं आवारा हुआ हूँ ।
मैं महंगाई ........
फकत एक बीवी ,कुल सात बच्चे ,
मैं भानुमती का पिटारा हुआ हूँ ।
मैं महंगाई ........
रहा हूँ मैं बचपन से दिलफेंक यारों ,
कि अब आज आलू बुख़ारा हुआ हूँ ।
मैं महंगाई ........
रहा हाल ऐसा अगर और आगे ,
तो देखोगे सिकुड़ा छुवारा हुआ हूँ ।
मैं महंगाई ........
मैं नजरों से उनकी उतारा हुआ हूँ ।
मैं था राज्यकर्मी ,कुकर्मी नहीं था,
वो समझे हैं अब मैं आवारा हुआ हूँ ।
मैं महंगाई ........
फकत एक बीवी ,कुल सात बच्चे ,
मैं भानुमती का पिटारा हुआ हूँ ।
मैं महंगाई ........
रहा हूँ मैं बचपन से दिलफेंक यारों ,
कि अब आज आलू बुख़ारा हुआ हूँ ।
मैं महंगाई ........
रहा हाल ऐसा अगर और आगे ,
तो देखोगे सिकुड़ा छुवारा हुआ हूँ ।
मैं महंगाई ........
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